अग्रसेन की बावली भारत की राजधानी दिल्ली की सबसे खूबसूरत जगह मानी जाती है। यह एक संरक्षित पुरातात्विक स्थल है जो दिल्ली के कनॉट प्लेस के नजदीक मौजूद है। यह भारत की सबसे पुरानी बावली मानी जाती है जिसका निर्माण 14वीं शताब्दी में महाराजा अग्रसेन ने करवाया था। भारतीय संरक्षण विभाग के अनुसार यहां पर प्रतिदिन देश-विदेश से भारी संख्या में पर्यटक आते हैं। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इस बावली का निर्माण महाभारत काल में करवाया गया था। यह देखने में बेहद आकर्षक एवं सुंदर लगता है।
अग्रसेन की बावली का इतिहास History of Agrasen Ki Baoli
अग्रसेन की बावली का निर्माण 14वीं शताब्दी में सूर्यवंशी सम्राट महाराजा अग्रसेन ने करवाया था जिसके कारण इसे ‘महाराजा अग्रसेन की बावली’ के नाम से भी जाना जाता है। इसमें लगभग 108 सीढ़ियां मौजूद है जो ऊपर से नीचे की तरफ बनाई गई है। यह मुख्य रूप से एक 60 मीटर लंबा एवं 15 मीटर चौड़ा कुआं है जिसके इर्द-गिर्द सुंदर दीवारों का निर्माण किया गया है।
अग्रसेन की बावली क्यों प्रसिद्ध है Why is Agrasen’s Stepwell Famous?
वैसे तो अग्रसेन की बावड़ी देश भर में अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है परंतु क्या आप जानते हैं कि इस बावली में एक समय में काले रंग का पानी हुआ करता था जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करके उन्हें आत्महत्या के लिए प्रेरित करता था। ऐसा माना जाता है कि इस पानी में लोगों को सम्मोहित करने की शक्ति थी जिसके कारण लोग इसमें कूद कर अपने प्राण त्याग करने का प्रयास करते थे। अग्रसेन की बावली दिल्ली के मशहूर स्थानों में से एक मानी जाती है जहां पर आए दिन बॉलीवुड की कई फिल्मों की शूटिंग भी की जा चुकी है।
अग्रसेन की बावली के रोचक तथ्य Interesting Facts About Agrasen Ki Baoli
- कुछ इतिहासकारों के अनुसार अग्रसेन की बावली का निर्माण महाभारत काल में राजा जीर्णोद्धार ने करवाया था जिसे बाद में 14वीं शताब्दी में महाराजा अग्रसेन ने पुनः निर्मित करवाया था जिसके कारण इसका नाम महाराजा अग्रसेन के नाम पर रखा गया था।
- महाराजा अग्रसेन की बावली का निर्माण लाल रंग के बलुआ पत्थरों की सहायता से किया गया है जिसके कारण इसकी दीवारें बेहद सुंदर लगती हैं।
- अग्रसेन की बावली देश के सबसे भयावह जगहों की सूची में शामिल है जहां पर आने के बाद लोगों को एक प्रकार के डर का अनुभव होता है।
- यह स्थान दिल्ली के सबसे एकांत जगहों में से एक है। यहां पर लोग अक्सर शांति पाने के लिए भी आते हैं।
- कहा जाता है कि इस बावली का निर्माण पानी को संरक्षित करने के लिए किया गया था। पुराने जमाने के राजघराने के लोग इस बावली के पानी को पीने के लिए भी इस्तेमाल किया करते थे।
- भारतीय पुरातत्व विभाग के अनुसार दिल्ली में मौजूद इस बावली में लोग तैराकी सीखने के लिए भी आया करते थे।
- अग्रसेन की बावली दिल्ली के गिने-चुने बावलियों में से एक है जो वर्तमान समय में भी अच्छी स्थिति में मौजूद है।
- कुछ इतिहासकारों की माने तो महाराजा अग्रसेन श्री राम के पुत्र कुश के वंशज थे जिनका जन्म भगवान राम की 35वीं पीढ़ी में हुआ था।
- कहा जाता है कि महाराजा अग्रसेन एक महान व्यक्तित्व एवं उत्तम विचारों वाले व्यक्ति थे जिसके कारण भारत सरकार ने वर्ष 1976 में उन्हें सम्मानित करने के लिए डाक टिकट भी जारी किया था।
- महाराजा अग्रसेन की बावली एक बहु मंजिला इमारत है जिसमें 108 सीढ़ियों का निर्माण किया गया है। इसके अलावा इस बावली के भीतर एक छोटी सी मस्जिद का भी निर्माण किया गया है जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
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अग्रसेन की बावली कैसे पहुंचे How To Reach Agrasen Ki Baoli
अग्रसेन की बावली को देखने के लिए आप सड़क, रेल एवं हवाई तीनों ही माध्यम का सहारा ले सकते हैं। सड़क मार्ग से आने के लिए आपको दिल्ली में स्थित महाराणा प्रताप कश्मीरी गेट ISBT बस अड्डे पर उतरना होगा जो यहां से लगभग 6.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रेल मार्ग से आने के लिए आपको बाराखंबा रोड मेट्रो स्टेशन पर उतरना होगा जो यहां से केवल 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा यदि आप हवाई मार्ग से आना चाहते हैं तो आपको इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरना होगा जो यहां से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
अग्रसेन की बावली के आसपास घूमने की अन्य जगहें Other Places To Visit Around Agrasen Ki Baoli
अग्रसेन की बावली के निकट कई अन्य घूमने की जगह मौजूद है जैसे:-
- कनॉट प्लेस
- लाल किला
- इंडिया गेट
- राष्ट्रपति भवन
- जंतर मंतर
- कुतुब मीनार
- कमल मंदिर
- जामा मस्जिद
- हुमायूं का मकबरा
- गुरुद्वारा बंगला साहिब इत्यादि।
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